महाराष्ट्र के पंजीकरण विभाग में जॉइंट इंस्पेक्टर जनरल राजेंद्र मुथे ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण बयान देते हुए स्पष्ट किया कि पुणे स्थित लगभग 40 एकड़ भूमि वास्तविक रूप से राज्य सरकार की संपत्ति है और इसे किसी भी परिस्थिति में बेचा नहीं जा सकता। वर्तमान में इसी जमीन की संदिग्ध बिक्री से जुड़े कई पहलुओं की जांच चल रही है। यह जांच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आदेश पर गठित विशेष समिति कर रही है, जिसमें मुथे भी तकनीकी सहायता दे रहे हैं।
यह जांच उस सौदे को लेकर हो रही है, जिसमें पुणे की निवासी और पावर ऑफ अटॉर्नी धारक शीतल तेजवानी ने उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार और दिग्विजय पाटिल की साझेदारी वाली एक LLP फर्म को यह भूमि बेचने का प्रयास किया था। मुथे ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से बातचीत में कहा कि भूमि अभिलेख—7/12 एक्सट्रैक्ट से लेकर 2018 के बाद जारी प्रॉपर्टी कार्ड तक—हर दस्तावेज में इस जमीन को पूर्व बॉम्बे सरकार, यानी मौजूदा महाराष्ट्र सरकार की संपत्ति के रूप में दर्ज किया गया है। पावर ऑफ अटॉर्नी धारक कभी भी सरकारी जमीन का निपटान नहीं कर सकता। सभी पहलुओं की व्यापक जांच की जा रही है और सात दिनों में रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी।
इस 40 एकड़ भूमि से जुड़ा मामला और भी दिलचस्प है। अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP को 24 अप्रैल 2024 को जिला उद्योग केंद्र से मिला ‘लेटर ऑफ इंटेंट’ मिले अभी एक साल भी नहीं हुआ था कि 19 मई 2025 को कंपनी ने तेजवानी के साथ 300 करोड़ रुपये के सौदे का एग्रीमेंट कर लिया। तेजवानी के पास महार समुदाय की इस भूमि के 272 मूल भू-स्वामियों का पावर ऑफ अटॉर्नी है। स्वतंत्रता से पहले महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में ‘वतन प्रथा’ लागू होती थी, जिसमें कुछ समुदायों या परिवारों को जमीन या राजस्व अधिकार प्रदान किए जाते थे, जिनके आधार पर कई भूमि रिकॉर्ड आज भी प्रभावित हैं।
300 करोड़ के इस विवादित सौदे पर शुक्रवार को एक और FIR दर्ज हो गई। इस बार पार्थ पवार के कारोबारी साझेदार दिग्विजय पाटिल, शीतल तेजवानी और निलंबित तहसीलदार सूर्यकांत येवाले को नामजद किया गया है। इससे पहले गुरुवार को महानिरीक्षक रजिस्ट्रार कार्यालय की शिकायत पर दिग्विजय पाटिल, तेजवानी और उप-रजिस्ट्रार आर. बी. तारू पर गबन और धोखाधड़ी का मामला दर्ज हुआ था। जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी के अनुसार जांच अब आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को सौंप दी गई है। यही नहीं, इसी FIR में बोपोडी इलाके में एक अन्य जमीन सौदे से जुड़े छह और लोगों को आरोपी बनाया गया है।
अजीत पवार का पक्ष
उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने बयान जारी कर बताया कि उनके बेटे पार्थ और उनके सहयोगियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि जिस जमीन की खरीद के लिए सौदा किया गया, वह वास्तव में सरकारी भूमि थी। तथ्य सामने आते ही कंपनी ने पूरा सौदा रद्द कर दिया है। उन्होंने कहा कि जांच समिति एक महीने में रिपोर्ट सौंप देगी। मुख्यमंत्री फडणवीस से मुलाकात के बाद उन्होंने यह जानकारी साझा की।
विवाद की पृष्ठभूमि
मुंधवा क्षेत्र में स्थित इन 40 एकड़ जमीन की कीमत लगभग 300 करोड़ रुपये बताई जाती है। यह सौदा अमाडिया एंटरप्राइजेज LLP के साथ किया गया था, जिसमें पार्थ पवार भी साझेदार हैं। आरोप यह भी है कि इस पूरे लेन-देन में स्टांप शुल्क को लेकर अनियमितताएँ हुईं। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास खड़गे के नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय समिति गठित की है।
अन्ना हज़ारे की प्रतिक्रिया
भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे ने इस पूरे प्रकरण पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यदि मंत्रियों के बच्चे गलत गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो नैतिक रूप से इसकी जिम्मेदारी स्वयं मंत्रियों की भी बनती है। उन्होंने यह टिप्पणी पार्थ पवार की कंपनी से जुड़े भूमि सौदे के विवाद पर की।