जम्मू-कश्मीर में आतंकी नेटवर्क को जड़ से खत्म करने के लिए सुरक्षाबलों ने शनिवार को एक बड़ा और समन्वित अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान विभिन्न जिलों—कुलगाम, डोडा, राजौरी और कठुआ—में उन लोगों के घरों पर एक साथ छापेमारी की गई, जिन पर आतंकी संगठनों की सहायता करने या उनकी गतिविधियों के लिए ज़मीन तैयार करने का संदेह था। कई जगहों पर सुरक्षा बलों ने ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और संदिग्धों के आवासों पर घंटों तक तलाशी ली।
कठुआ में चल रही रेड के दौरान पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई का दायरा उन परिवारों तक भी फैला है जिनके कुछ सदस्य पाकिस्तान या पीओके में रहकर आतंकवाद से जुड़े कामों को अंजाम दे रहे हैं। पुलिस के अनुसार, यह व्यापक तलाशी अभियान उस छिपे हुए नेटवर्क को तोड़ने के लिए है, जो घाटी में आतंकी गतिविधियों को जिंदा रखने में मदद करता है—चाहे वह वित्तीय सहायता हो, संपर्क बनाए रखना हो या बाहरी मदद पहुंचाना हो।
सूत्रों का कहना है कि हाल ही में डीजीपी की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में सुरक्षा एजेंसियों को यह निर्देश दिए गए थे कि सीमा पार से संचालित होने वाले सक्रिय नेटवर्क पर “तत्काल और निर्णायक” कार्रवाई की जाए। उसी रणनीति के तहत कुलगाम सहित कई इलाकों में एक साथ घेराबंदी और तलाशी अभियान शुरू किए गए। ये ऑपरेशन उन लोगों पर केंद्रित रहे जिन पर आतंकी संगठनों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने या उनसे नियमित संपर्क रखने का शक था।
पुलिस ने छापेमारी के दौरान कई मोबाइल फोन, डिजिटल गैजेट्स और संवेदनशील दस्तावेज कब्जे में लिए हैं, जिनके माध्यम से कई अहम सुराग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, कई व्यक्तियों के खिलाफ UAPA समेत विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें देश-विरोधी प्रचार फैलाने, आतंकी संगठनों के लिए भर्ती कराने और विदेशी नेटवर्क से तालमेल रखने जैसे आरोप शामिल हैं।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह व्यापक रेड घाटी में “आतंकी सपोर्ट स्ट्रक्चर” को पूरी तरह ध्वस्त करने की दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि जब तक सीमा पार से आतंकी गतिविधियों को हवा देने वाले तंत्र को पूरी तरह निष्क्रिय नहीं किया जाता, ऐसे अभियान नियमित रूप से जारी रहेंगे।
इसी बीच, काउंटर-इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) ने भी जेलों में बंद कैदियों की गतिविधियों को लेकर अचानक जांच तेज कर दी है। कश्मीर की कई जेलों में बैरकों और कैदियों की निजी वस्तुओं की संयुक्त जांच की गई, ताकि अवैध मोबाइल फोन या किसी भी तरह की आपत्तिजनक सामग्री का पता लगाया जा सके। अधिकारियों ने बताया कि जेलों से आतंकी नेटवर्क को मिले संकेतों के बाद यह कदम उठाया गया।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह संयुक्त कार्रवाई आगे आने वाले महीनों में आतंकी ढांचे को निर्णायक रूप से कमजोर कर सकती है।