विश्व बैंक में प्रतिनियुक्ति पर तैनात आईएएस अधिकारी महिमापत रे एक नए विवाद में घिर गए हैं। उन पर आरोप है कि रांची में उपायुक्त (डीसी) रहते हुए उनकी संपत्ति में ऐसी बढ़ोतरी हुई, जो उनकी घोषित आय से मेल नहीं खाती। इसी आधार पर एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने प्राथमिक जांच (PE) संख्या 2/25 दर्ज कर मामले को औपचारिक रूप से खंगालना शुरू कर दिया है।
जांच की जिम्मेदारी संभाल रहे पदाधिकारी संतोष कुमार ने अलग-अलग विभागों से विस्तृत विवरण मांगा है। राजस्व विभाग से महिमापत रे तथा उनके परिजनों के नाम पर दर्ज जमीन और संपत्तियों का अद्यतन ब्यौरा तलब किया गया है। परिवहन विभाग को उनके और परिवार के सदस्यों के नाम पर निबंधित वाहनों की सूची उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
सूत्रों की मानें तो ACB ने यह कार्रवाई आयकर विभाग द्वारा तैयार एक आंतरिक रिपोर्ट के आधार पर प्रारंभ की है, जिसमें कुछ वित्तीय गड़बड़ियों की ओर संकेत किया गया था। इसी रिपोर्ट के बाद यह संदेह पैदा हुआ कि परिवार की कुल संपत्ति और वास्तविक आय में बड़ा अंतर है।
ACB ने जिन लोगों का रिकॉर्ड मांगा है, उनमें आईएएस महिमापत रे के साथ उनकी पत्नी हेम बोरकर, मां कुमकुर रे, और उनके दोनो बच्चों के नाम शामिल हैं। जांच एजेंसी पिछले वर्षों के दौरान उनकी आय, खर्च, और रांची में डीसी रहते हुए हुए वित्तीय लेन-देन की विस्तार से पड़ताल कर रही है।