रांची (RANCHI): राज्य कर सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत अधिकारी पुष्पलता पर विभागीय आदेशों की अनदेखी करने का आरोप लगा है। वे पहले जमशेदपुर में ट्रेजरी अफसर के रूप में तैनात थीं। तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद वाणिज्य कर विभाग ने 28 जुलाई 2023 को एक अधिसूचना जारी कर उनकी सेवा वित्त विभाग से वापस मांगी थी। आदेश में उन्हें सात दिनों के भीतर सिंहभूम अंचल, जमशेदपुर में बतौर राज्य कर सहायक आयुक्त योगदान देने का निर्देश दिया गया था।
बताया जाता है कि पुष्पलता ने इस आदेश की जानकारी अपने मूल विभाग को नहीं दी और न ही समय पर स्थानांतरण आदेश का पालन किया। बाद में करीब तीन महीने पश्चात, 19 अक्टूबर 2023 को वित्त विभाग की एक नई अधिसूचना आई, जिसमें उन्हें फिलहाल के लिए जमशेदपुर की ट्रेजरी ऑफिसर के पद पर ही बनाए रखा गया। इस तरह वे कुल मिलाकर लगभग पांच वर्षों तक उसी पद पर कार्यरत रहीं।
वित्त मंत्री भी हुए हैरान: यह मामला हाल ही में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर के संज्ञान में आया, जिन्होंने पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तलब की है। मंत्री ने कहा कि विभागीय आदेशों की अवहेलना गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आती है। उन्होंने वाणिज्य कर सचिव को निर्देश दिया है कि पुष्पलता के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए और उन्हें निलंबित किया जाए। फिलहाल वे रांची के डोरंडा कोषागार में ट्रेजरी ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 2024 में चुनाव आयोग के निर्देशों के तहत उनका स्थानांतरण जमशेदपुर से रांची किया गया था। 13 फरवरी 2024 को वित्त विभाग ने अधिसूचना जारी कर उन्हें रांची ट्रेजरी ऑफिसर के रूप में पदस्थापित किया। यह तब हुआ जब चुनाव अवधि में तीन वर्ष से अधिक समय तक एक ही पद पर रहने वाले अधिकारियों का स्थानांतरण किया जा रहा था।
प्रशासनिक लापरवाही का उदाहरण: गौरतलब है कि राज्य में ट्रेजरी ऑफिसर का कोई स्वतंत्र कैडर नहीं है। वाणिज्य कर विभाग अपने अधिकारियों को वित्त विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजता है। कई बार विभाग अपने अधिकारी की सेवा वापस लेना चाहता है, लेकिन संबंधित अधिकारी आदेश का पालन नहीं करते। इसी तरह विभागीय स्तर पर आदेशों को लागू करने में भी सुस्ती दिखाई जाती है, जिससे ऐसे अधिकारी लंबे समय तक एक ही पद पर जमे रहते हैं।
वित्त मंत्री का रुख सख्त: राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि राज्य सरकार अनुशासनहीनता को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मामले में संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
पुष्पलता का पक्ष: डोरंडा कोषागार की ट्रेजरी ऑफिसर पुष्पलता कुमारी ने सफाई दी है कि उन्होंने विभाग द्वारा जारी शॉ-कॉज नोटिस का जवाब पहले ही भेज दिया था। उनके अनुसार, वाणिज्य कर विभाग ने उनकी सेवा वित्त विभाग से वापस मांगी थी, लेकिन उन्हें रिलीवर नहीं दिया गया। “मेरे साथ 10–12 अन्य अधिकारियों की सेवाएं भी वापस ली गई थीं, जिनमें से किसी ने भी नए पद पर योगदान नहीं दिया। इसके बाद वित्त विभाग ने मुझे वहीं बने रहने का आदेश दिया। यदि मैं उस समय मूल विभाग में लौट जाती, तो वित्त विभाग के आदेश का उल्लंघन होता,” उन्होंने कहा।