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अमन साव केस: हाईकोर्ट ने ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने का दिया निर्देश, 28 नवंबर को होगी अगली सुनवाई

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रांची (झारखंड): झारखंड हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अमन साव एनकाउंटर प्रकरण में राज्य पुलिस की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताते हुए स्पष्ट निर्देश दिया है कि मृतक की मां किरण देवी द्वारा दी गई ऑनलाइन शिकायत को एफआईआर के रूप में तुरंत दर्ज किया जाए। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि इस कार्रवाई की स्थिति रिपोर्ट अगली सुनवाई से पहले पेश की जाए।

जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की एकलपीठ ने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की। यह सुनवाई अदालत द्वारा स्वतः संज्ञान लेने के साथ-साथ अमन साव की मां द्वारा एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर हुई।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता किरण देवी ने बताया कि वह पिछले सात महीनों से ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन पुलिस की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने कहा कि यह संज्ञेय अपराध है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ऐसी स्थिति में एफआईआर दर्ज होना अनिवार्य था।

राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि अमन साव एनकाउंटर प्रकरण की जांच सीआईडी पहले से कर रही है और उसी एफआईआर के तहत मृतक के परिजनों की शिकायत में उठाए गए बिंदुओं की भी पड़ताल की जा रही है। इस पर न्यायालय ने असहमति व्यक्त की और कहा कि इस तरह की परिस्थितियों में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की जानी चाहिए थी।

हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को निर्धारित की है।
किरण देवी ने अपनी याचिका में 11 मार्च 2025 को पलामू में हुए अपने बेटे अमन साव के एनकाउंटर को ‘फर्जी’ करार देते हुए इसकी जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।

याचिका में केंद्रीय गृह मंत्रालय, सीबीआई निदेशक, राज्य के गृह सचिव, डीजीपी, एसएसपी रांची और एटीएस के वरिष्ठ अधिकारियों को पक्षकार बनाया गया है।

किरण देवी का आरोप है कि रायपुर सेंट्रल जेल से रांची स्थित एनआईए कोर्ट में पेशी के लिए ले जाने के दौरान उनके बेटे का योजनाबद्ध तरीके से फर्जी एनकाउंटर कर दिया गया। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर में अमन साव को 75 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा में चाईबासा जेल से रायपुर भेजा गया था, लेकिन रायपुर से रांची लाते समय सिर्फ 12 सदस्यीय एटीएस टीम थी, जिससे पूरे घटनाक्रम पर गंभीर संदेह उत्पन्न होता है।

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