बांग्लादेश में बवाल! गोलियों की गड़गड़ाहट और आगजनी के बीच गर्माया चुनावी मौसम

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बांग्लादेश (BANGLADESH): फरवरी 2026 में प्रस्तावित आम चुनावों से पहले ही बांग्लादेश का माहौल अचानक असामान्य रूप से तनावपूर्ण होता दिख रहा है। जिन सड़कों को राजनीतिक उत्साह और जनसभाओं से गुलजार होना चाहिए था, वहां अब बेचैनी और अव्यवस्था की परछाइयाँ गहराने लगी हैं। चिटगांव में स्थिति उस समय और गंभीर हो गई जब प्रचार के दौरान बीएनपी उम्मीदवार एरशाद उल्लाह अचानक ज़मीन पर जा गिरे। बाद में पता चला कि उनके कंधे में गोली लगी है। कुछ ही पलों में भीड़ का जोश दहशत में बदल गया और नारों की जगह अफरा-तफरी ने ले ली।

कुमिल्ला से भी हालात चिंताजनक रहे। यहां बीएनपी के प्रत्याशी मोनोवार सरकार के आवास पर अज्ञात लोगों ने हमला कर दिया और घर में आग लगा दी। धधकती लपटों के बीच यह साफ महसूस हो रहा था कि किसी ताकतवर वर्ग की कोशिश है कि विपक्षी आवाज़ें धीमी कर दी जाएँ।
अंतरिम प्रशासन ने इन घटनाओं पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि लोकतंत्र में हिंसा किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है, और दोषियों को संरक्षण नहीं मिलेगा—चाहे वे किसी भी विचारधारा या समूह से ताल्लुक रखते हों। सरकार की ओर से यह भी दावा किया गया कि उल्लाह को लगी गोली “गलती से चली हुई” थी, लेकिन इस बयान ने संदेह और बढ़ा दिया—क्या ऐसी घटनाएँ वाकई दुर्घटनावश होती हैं या इनके पीछे कोई गहरे इरादे छिपे होते हैं?

मुख्य सलाहकार ने सुरक्षा एजेंसियों को आदेश दिया है कि सभी हमलावरों का पता लगाकर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया भय के साये में न दबे।
इस बीच बीएनपी ने पलटवार करते हुए जमात-ए-इस्लामी पर आरोप लगाया है कि वह देश के भीतर अनिश्चितता का वातावरण तैयार कर रही है। पार्टी के एक अन्य उम्मीदवार अनवारुल हक का कहना है कि कुछ कट्टरपंथी गुट और सरकारी हलकों से जुड़े कुछ लोग मिलकर सामाजिक फूट पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके मुताबिक, बांग्लादेश का आम नागरिक धार्मिक है, लेकिन कट्टरवाद की तरफ झुकाव नहीं रखता।

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