रांची (RANCHI): ईडी ने फर्जी समन रोकने के लिए अपनाया क्यूआर कोड का तरीका
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने झारखंड में फर्जी समन भेजकर लोगों को डराने और ठगने की घटनाओं को रोकने के लिए नई तकनीक अपनाई है। अब ईडी द्वारा जारी किए जाने वाले समन पर क्यूआर कोड लगाया जाएगा। इस कोड को स्कैन करने पर व्यक्ति को समन की वैधता की जानकारी तुरंत प्राप्त होगी, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि समन असली है या नकली। डिजिटल माध्यमों से ठगी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए ईडी ने यह कदम उठाया है।
ईडी ने लोगों को विशेष चेतावनी भी दी है कि किसी को ऑनलाइन अरेस्ट करने का अधिकार एजेंसी का नहीं है। यदि कोई ईडी के नाम पर कॉल करता है, तो वह धोखाधड़ी है। साइबर अपराधी अक्सर ईडी अधिकारियों के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को डराते हैं और उनकी मेहनत की कमाई ठग लेते हैं। इसलिए जनता से अपील की गई है कि वे ऐसे झांसे में न आएं।
झारखंड में ईडी की प्रमुख जांचें
झारखंड में ईडी कई बड़े मामलों की जांच कर रही है, जिनमें मनरेगा घोटाला, खनन घोटाला, जमीन घोटाला, टेंडर कमीशन घोटाला, बालू घोटाला और शराब घोटाले शामिल हैं। इन मामलों में अक्सर ठग ईडी के नाम का इस्तेमाल कर लोगों को फोन करके डराते हैं और उनसे पैसे ऐंठ लेते हैं।
ठगी के कुछ प्रमुख मामले
- 1.39 करोड़ रुपये की ठगी: बोकारो के एक सेवानिवृत्त लोक उपक्रम अधिकारी को साइबर अपराधियों ने वॉट्सएप कॉल के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे केस में फंसाने की धमकी दी। इस तरह पीड़ित से 1.39 करोड़ रुपये ठगे गए।
- 56.44 लाख रुपये की ठगी: डोरंडा निवासी एक अधिकारी की पत्नी को डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर साइबर अपराधियों ने 59 लाख 44 हजार 307 रुपये ठग लिए। महिला ने डर के कारण पैसे ठगों को दे दिए।
- ईडी केस से नाम हटाने के नाम पर करोड़ों की ठगी: अक्टूबर 2024 में ईडी केस में नाम हटाने के बहाने ठगी की गई। पंडरा ओपी में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसमें कई अधिकारियों से करोड़ों रुपये वसूलने का आरोप लगाया गया है।
सावधानी बरतना बेहद जरूरी
ईडी ने जनता को सलाह दी है कि वे ऑनलाइन ठगी के मामलों के प्रति सतर्क रहें। अपनी व्यक्तिगत जानकारी और धन की सुरक्षा करना आवश्यक है। किसी भी संदिग्ध गतिविधि या अनजान कॉल/समन के मामले में तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित करें।
तकनीक और जागरूकता से सुरक्षा
क्यूआर कोड जैसी तकनीक अपनाकर ईडी ठगी के मामलों को रोकने की दिशा में काम कर रही है। जनता को भी सतर्क रहना और एक-दूसरे को जागरूक करना चाहिए। साइबर अपराध के खिलाफ यह लड़ाई केवल एजेंसी की ही नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है।