चित्रगुप्त पूजा 2025: तिथि, महत्व, कथा और विधि
चित्रगुप्त महाराज को धर्मशास्त्रों में मनुष्य के कर्मों का सूक्ष्म लेखा-जोखा रखने वाला देवता कहा गया है। हर वर्ष कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को उनकी पूजा का विधान बताया गया है। वर्ष 2025 में यह पूजा 23 अक्टूबर (गुरुवार) के दिन की जाएगी। इस अवसर पर आइए जानते हैं — पूजा का महत्व, विधि, कथा और मंत्र।
🪔 चित्रगुप्त पूजा की विधि
इस दिन लेखा-जोखा रखने वाले बहीखाते, कलम, दवात, इत्र और पुस्तकों की पूजा करना शुभ माना जाता है।
सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को स्वच्छ करें। फिर धूप, दीप प्रज्वलित कर चित्रगुप्त महाराज की प्रतिमा या चित्र के समक्ष आसन लगाएँ। उन्हें पुष्प, अक्षत, इत्र और मिठाइयाँ — जैसे खीर, लड्डू आदि का भोग अर्पित करें। इसके बाद श्रद्धा से चित्रगुप्त मंत्रों का जप करें और आरती के साथ पूजा पूर्ण करें।
🕉️ चित्रगुप्त महाराज के मंत्र
ध्यान मंत्र:
“मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्॥”
जप मंत्र:
“ॐ श्री चित्रगुप्ताय नमः।”
इन मंत्रों का जप करने से बुद्धि की वृद्धि होती है और कर्मों में स्पष्टता आती है।
चित्रगुप्त पूजा की कथा
प्राचीन काल में सौदास नामक एक अत्याचारी राजा था। उसके अत्याचारों से प्रजा हमेशा दुखी रहती थी। एक दिन वह राज्य भ्रमण के दौरान एक ब्राह्मण को गहराई से पूजा करते देख रुक गया। जिज्ञासावश उसने पूछा — “आप किस देवता की पूजा कर रहे हैं?”
ब्राह्मण ने उत्तर दिया — “आज कार्तिक शुक्ल द्वितीया का दिन है, मैं यमराज के लेखपाल चित्रगुप्त जी की आराधना कर रहा हूँ। इनकी पूजा से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं।”
राजा को यह बात बहुत भायी। उसने भी श्रद्धा से चित्रगुप्त और यमराज की पूजा की। कालांतर में जब राजा की मृत्यु हुई, तो यमलोक में चित्रगुप्त ने उसके कर्मों का लेखा देखा। उन्होंने कहा — “यद्यपि इसने जीवनभर पाप किए, परंतु अंत समय में भक्ति-भाव से पूजा की है। अतः इसे नरक नहीं, स्वर्ग मिलना चाहिए।”
इस प्रकार, चित्रगुप्त पूजा का यह प्रसंग बताता है कि अंतर्मन की सच्ची भक्ति व्यक्ति को मुक्ति दिला सकती है।
चित्रगुप्त पूजा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन ही चित्रगुप्त महाराज का प्राकट्य हुआ था। कहा जाता है कि वे ब्रह्मा जी के चित्त (मन) से उत्पन्न हुए थे — इसी कारण उनका नाम “चित्रगुप्त” पड़ा।
इस दिन लेखा-जोखा रखने वाले साधन — बहीखाता, कलम, दवात और पुस्तकें — पूजनीय मानी जाती हैं।
यह दिन व्यवसाय, शिक्षा और बुद्धि-विकास के लिए अत्यंत शुभ है। चित्रगुप्त महाराज की आराधना से व्यक्ति के कर्म सुधरते हैं, पाप क्षीण होते हैं और जीवन में समृद्धि तथा मानसिक शांति का वास होता है।