JPSC Recruitment Scam में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की द्वितीय नियुक्ति परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर सीबीआई ने बड़ा कदम उठाया है।
JPSC Recruitment Scam में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की द्वितीय नियुक्ति परीक्षा में हुए घोटाले को लेकर सीबीआई ने बड़ा कदम उठाया है। सीबीआई ने इस मामले में 50 से अधिक आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। इसमें जेपीएससी के पूर्व चेयरमैन दिलीप कुमार प्रसाद समेत कई अधिकारियों और अभ्यर्थियों के नाम शामिल हैं। यह मामला झारखंड में सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
JPSC Recruitment Scam: 50 से अधिक आरोपियों पर चार्जशीट
JPSC Recruitment Scam में सीबीआई ने रांची की अदालत में चार्जशीट दाखिल की। यह मामला द्वितीय जेपीएससी परीक्षा घोटाले से जुड़ा है, जहां परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गई थीं। चार्जशीट में जेपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन, सदस्य, परीक्षा नियंत्रक, इंटरव्यू बोर्ड के विशेषज्ञ, और कई अभ्यर्थियों के नाम शामिल हैं।
JPSC Recruitment Scam: पूर्व चेयरमैन और अन्य अधिकारियों पर आरोप
सीबीआई ने अपनी चार्जशीट में JPSC Recruitment Scam के तहत जिन प्रमुख अधिकारियों के नाम शामिल किए हैं, वे इस प्रकार हैं:
- दिलीप कुमार प्रसाद (जेपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन)
- गोपाल प्रसाद (सदस्य)
- शांति देवी (सदस्य)
- राधा गोविंद नागेश (सदस्य)
- उषा रानी सिंह (सचिव सह परीक्षा नियंत्रक)
- अरविंद कुमार सिंह (सहायक को-ऑर्डिनेटर, मेन एग्जाम)
- अल्बर्ट टोप्पो (इंटरव्यू बोर्ड विशेषज्ञ)
- नंदलाल (इंटरव्यू बोर्ड और एग्जामिनर)
- सोहन राम (इंटरव्यूअर)
- धीरज कुमार (एनसीसीएफ के प्रतिनिधि)
इन सभी पर परीक्षा प्रक्रिया में धांधली, परिणामों में छेड़छाड़, और योग्य उम्मीदवारों के अधिकारों का हनन करने के आरोप हैं।
JPSC Recruitment Scam: 24 अभ्यर्थियों पर भी चार्जशीट
JPSC Recruitment Scam में केवल अधिकारी ही नहीं, बल्कि कई अभ्यर्थी भी शामिल पाए गए हैं। सीबीआई ने चार्जशीट में जिन अभ्यर्थियों के नाम दर्ज किए हैं, वे हैं:
- राधा प्रेम किशोर
- विनोद कुमार
- हरिशंकर बारीक
- हरिहर सिंह मुंडा
- रवि कुमार कुजूर
- मुकेश कुमार महतो
- कुंदन कुमार सिंह
- मौसमी नागेश
- कन्नूराम नाग
- प्रकाश कुमार
- संगीता कुमारी
- रजनीश कुमार
- शिवेंद्र
- संतोष कुमार चौधरी
- रोहित सिन्हा
- शैलेश कुमार श्रीवास्तव
- अमित कुमार सिंह
- राहुल जी उर्फ आनंद जी
- इंद्रजीत सिंह
- शिशिर कुमार सिंह
- रंजीव कुमार सिंह
- राम कृष्ण कुमार
- प्रमोद राम
- अरविंद कुमार सिंह
- विकास कुमार पांडेय
इन अभ्यर्थियों पर परीक्षा में अनियमितताएं करने और फर्जी तरीके से परिणामों में छेड़छाड़ कर अपनी नियुक्ति कराने के आरोप हैं।
JPSC Recruitment Scam: परीक्षा घोटाले में सामने आए तथ्य
JPSC Recruitment Scam में कई गंभीर तथ्य सामने आए हैं:
- परीक्षा में धांधली: मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू के अंकों में हेरफेर कर अभ्यर्थियों को पास कराया गया।
- पारदर्शिता की कमी: इंटरव्यू बोर्ड के सदस्यों और अधिकारियों ने व्यक्तिगत लाभ के लिए परिणामों में गड़बड़ी की।
- फर्जी प्रमाणपत्रों का उपयोग: कई अभ्यर्थियों ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए अपनी योग्यता साबित की।
JPSC Recruitment Scam: सीबीआई की जांच प्रक्रिया
JPSC Recruitment Scam की जांच सीबीआई को राज्य सरकार द्वारा सौंपी गई थी। इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में गहराई से जांच शुरू की। जांच के दौरान, आयोग के दस्तावेज, परीक्षा परिणाम, और इंटरव्यू प्रक्रिया से संबंधित रिकॉर्ड खंगाले गए।
सीबीआई ने पाया कि कई उम्मीदवारों को इंटरव्यू में अयोग्य होने के बावजूद चयनित किया गया था।
JPSC Recruitment Scam: घोटाले का प्रभाव
JPSC Recruitment Scam का प्रभाव झारखंड के शिक्षा और भर्ती तंत्र पर गहरा पड़ा है।
- योग्य उम्मीदवारों का नुकसान: इस घोटाले के कारण कई योग्य उम्मीदवारों को उनकी मेहनत का फल नहीं मिल सका।
- भर्तियों पर सवाल: झारखंड लोक सेवा आयोग की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठे।
- भ्रष्टाचार का मुद्दा: राज्य में सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग तेज हुई।
JPSC Recruitment Scam: आंकड़े और तथ्य
- घोटाले से जुड़े कुल आरोपी: 50+
- चार्जशीट में शामिल अधिकारी: 10+
- चार्जशीट में शामिल अभ्यर्थी: 24
- सीबीआई जांच की शुरुआत: राज्य सरकार के आदेश पर
JPSC Recruitment Scam: निष्कर्ष
JPSC Recruitment Scam झारखंड के भर्ती तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का एक गंभीर उदाहरण है। इस घोटाले ने सरकारी भर्तियों की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए हैं। सीबीआई की चार्जशीट से यह स्पष्ट है कि इस मामले में कई उच्च पदस्थ अधिकारी और अभ्यर्थी शामिल थे।
इस मामले की जांच और दोषियों पर कार्रवाई से झारखंड में ईमानदार और पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया की उम्मीद की जा सकती है। योग्य उम्मीदवारों को न्याय दिलाने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है।