सीएम बिल्डर्स ने बनाया कानून; उच्च न्यायालय ले रोक
सोरेन के सीएम ने इसे कानून बनाकर लागू करने का आदेश दिया है, जिसमें कहा गया है कि झारखंड में निजी कंपनियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी नौकरियां दी जाएंगी। मुख्य न्यायाधीश रिचर्ड राव और न्यायाधीश दीपक की रोशन को
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कोर्ट में मॉस्को स्मॉल स्कैम इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (जेसिया) की ओर से खुदाई की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार को जवाब देने का निर्देश दिया है। अब केस की अगली सुनवाई 20 मार्च को होगी।
जेसिया की पोस्ट क्या है?
प्रोडक्ट की ओर से एडवोकेट अमित कुमार दास और शिवम उत्कर्ष सहायता ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने झारखंड स्टेट इंप्लायमेंट ऑफ मोबाइक्स इन प्राइवेट सेक्टर एक्ट कंपनी-2021 बनाया है। इस कानून के तहत राज्य द्वारा संचालित निजी बैंकों में 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नौकरी देने का प्रावधान है।
लेकिन ऐसा प्रोविज़न करना सही नहीं है। यह आदेश निजी कंपनियों पर लागू नहीं हो सकता। यह संवैधानिक भी नहीं है. सरकार का यह कानून भेदभाव, लाभ के अधिकार और व्यवसाय की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। इसलिए इस कानून को निरस्त किया जाना चाहिए।
पंजाब-हरियाणा कोर्ट का निर्णय आधार
सुनवाई के क्रम में वकीलों ने कोर्ट से कहा कि हरियाणा सरकार ने भी ऐसा कानून लागू किया है, जिसे पंजाब-हरियाणा कोर्ट ने रद्द कर दिया है। इस कारण से लागू होने वाले इस कानून को भी निरस्त किया जाना चाहिए।
किसानों का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामले में पंजाब-हरियाणा कोर्ट का फैसला सुनाया जा चुका है। इसलिए झारखंड सरकार की ओर से बनाए गए कानून को लागू करने पर रोक लगाई जा रही है।
40 हजार तक की नौकरी, स्थानीय को देने का कानून क्या है?
झारखंड सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंकों में 40 हजार रुपये वेतन वाले पदों पर 75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को नियुक्त करने का कानून बनाया है। यह कानून 2021 से लागू है। इसके तहत निजी क्षेत्र की संस्थाओं में नियुक्तियों को नवीनीकृत करना अनिवार्य कर दिया गया था। सरकार के इसी फैसले के खिलाफ जेसिया ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
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झारखंड हाई कोर्ट से आवास निर्माण फर्मों को मिली राहत:एमपी-एमएलए कोर्ट के आदेश पर रोक, 16 दिसंबर को फिर सुनवाई
झारखंड उच्च न्यायालय ने सीएम रसेल सोरेन को बड़ी राहत दी है। उन्हें एमपी-एमएलए कोर्ट में सैबॉडी पेश नहीं किया जाएगा। आज उन्हें एमपी-एमएलए कोर्ट में उपस्थित होने की बात कही गई। एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें ईडी के समन से जुड़े मामले में पूछताछ का आदेश दिया था। जिसके बाद वे झारखंड उच्च न्यायालय के शरण ली थे। जहां उन्होंने क्रिमिनल मिसलिनियस पिटीशन पोजिशन की।
आज इस मामले में हाई कोर्ट के जज जस्टिस अनिल चौधरी कुमार की अदालत ने राहत दी और एमपी-एमएलए की विशेष अदालत के आदेश पर रोक लगा दी। सीएम इलेक्ट्रॉनिक्स की ओर से प्रमुख पीयूष चित्रेश, दीपांकर रॉय और श्रेया मिश्रा ने पक्ष रखा। अब इस याचिका पर अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। पूरी खबर यहां पढ़ें…