रांची में सरहुल महोत्सव धूमधाम से संपन्न, मंत्री चमरा लिंडा ने सांस्कृतिक संरक्षण पर दिया जोर

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रांची, 2 अप्रैल 2025: झारखंड में आदिवासी समाज द्वारा पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ सरहुल महोत्सव मनाया जा रहा है। इसी क्रम में बुधवार को रांची के कांके स्थित मायापुर सरना स्थल में आदिवासी 22 पड़ाहा सरना समिति ओरमांझी-कांके द्वारा 29वें सरहुल पूजा महोत्सव का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने शिरकत की और आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं के संरक्षण पर बल दिया।

सरहुल महोत्सव में अपने संबोधन के दौरान मंत्री चमरा लिंडा ने कहा कि आदिवासी संस्कृति को संरक्षित रखना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने समाज से अपील की कि सरहुल पर्व में पारंपरिक मांदर और नगाड़े की धुनों पर नृत्य करें, न कि आधुनिक डीजे और फिल्मी गीतों पर।उन्होंने कहा, “हमारी संस्कृति ही हमारी पहचान है। मांदर और नगाड़े की धुन पर नृत्य करने से हमारे रीति-रिवाज जीवित रहेंगे। सरकार आदिवासी समाज के संरक्षण और सशक्तिकरण के लिए लगातार प्रयासरत है।”

मंत्री लिंडा ने आदिवासी समाज के उत्थान के लिए विभिन्न योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा कि –✔️ आदिवासी और ओबीसी समुदाय के लिए नए स्कूल, ट्यूशन सेंटर, कॉलेज और अस्पताल खोले जाएंगे।✔️ हरिजन समुदाय के लिए भी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार किया जाएगा।✔️ छोटानागपुर क्षेत्र में सरना स्थलों की बाउंड्री निर्माण के लिए सरकार विशेष बजट आवंटित करेगी। मंत्री लिंडा ने घोषणा की कि सरकार ने 15 करोड़ रुपये की लागत से पारंपरिक मांदर-नगाड़े वितरित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, “सरहुल पर्व की आत्मा को जीवंत रखने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।”

सरना धर्म को मान्यता दिलाने के संघर्ष को लेकर मंत्री लिंडा ने कहा कि जब तक सरना कोड की आधिकारिक मान्यता नहीं मिलती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, “अगर केंद्र सरकार सरना कोड को मान्यता नहीं देती, तो हम सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। जरूरत पड़ी तो पूरे झारखंड को बंद करने के लिए भी तैयार रहेंगे।”उन्होंने समाज के सभी लोगों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा, “संघर्ष ही जीवन है। हमें साथ मिलकर लड़ना होगा और अपने अधिकारों को प्राप्त करना होगा।”

महोत्सव के दौरान पारंपरिक सरहुल गीतों और मांदर की थाप पर आदिवासी समाज के लोगों ने झूमकर नृत्य किया। पूरे आयोजन में सांस्कृतिक समृद्धि और सामुदायिक एकता का संदेश देखने को मिला।सरहुल पर्व को लेकर रांची सहित झारखंड के विभिन्न हिस्सों में विशेष तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

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