संतान नियम बदला तो बहू हुई बाहर, सास फिर लौटीं मेयर की रेस में!

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धनबाद(DHANBAD): झारखंड में प्रस्तावित नगर निकाय चुनाव से पहले राज्य निर्वाचन आयोग ने पात्रता संबंधी नई गाइडलाइन जारी की है। नए नियमों के तहत अब उम्मीदवारों के लिए संतान सीमा अनिवार्य कर दी गई है। यदि किसी अभ्यर्थी की दो से अधिक संतान है और सबसे छोटे बच्चे का जन्म 9 फरवरी 2013 के बाद हुआ है, तो वे चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

आयोग द्वारा सभी जिलों को भेजे गए निर्देशों के लागू होते ही कई सीटों पर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विशेषकर धनबाद नगर निगम चुनाव में इस बदलाव का सबसे बड़ा असर देखने को मिल रहा है। मेयर पद की प्रमुख दावेदार मानी जा रही आसनी सिंह इस नए नियम के दायरे में आ रही हैं, जिसके चलते उनका चुनाव लड़ना लगभग असंभव हो गया है।

ऐसे में अब सिंह मैंशन से एक बार फिर इंदू देवी के चुनावी मैदान में उतरने की संभावना बढ़ गई है। बता दें कि इंदू देवी वर्ष 2010 में धनबाद की मेयर रह चुकी हैं और राजनीतिक अनुभव रखती हैं।

निर्वाचन आयोग के सचिव राधेश्याम प्रसाद ने स्पष्ट किया कि संतान संख्या के आधार पर वही प्रत्याशी अयोग्य माने जाएंगे, जिनके बच्चे तय तिथि के बाद बढ़े हों। जुड़वा बच्चे हों या गोद ली गई संतान — सभी को कुल संतान में गिना जाएगा। इसके अलावा नामांकन के साथ शपथपत्र देना आवश्यक होगा, जिसमें गलत जानकारी मिलने पर नामांकन रद्द कर दिया जाएगा।

आयोग ने झारखंड नगरपालिका अधिनियम-2011 के प्रावधानों के अंतर्गत पहली बार पूरे राज्य में एक साथ नगर निकाय चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी तेज कर दी है।

इसी बीच मेयर पद को सामान्य (ओपन) घोषित किए जाने के बाद आसनी सिंह ने सक्रियता दिखानी भी शुरू कर दी थी। उनका संबंध धनबाद की चर्चित राजनीतिक विरासत सिंह मैंशन से है। वह झरिया के पूर्व विधायक दिवंगत सूरजदेव सिंह के भाई और कुख्यात नेता रामधीर सिंह की पुत्रवधू हैं।
रामधीर सिंह वर्तमान में होटवार जेल में सजा काट रहे हैं, जबकि आसनी के पति शशि सिंह, सुरेश सिंह हत्याकांड में फरार बताए जाते हैं।

नियम में बदलाव के बाद प्रतिक्रिया देते हुए आसनी सिंह ने कहा कि अब उनकी सास इंदू देवी ही उम्मीदवार होंगी। ऐसे में यह साफ है कि नई व्यवस्था ने धनबाद मेयर चुनाव को एक बार फिर दिलचस्प बना दिया है और दावेदारी का पूरा समीकरण बदल गया है।

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