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“पाकिस्तान में असीम मुनीर की बढ़ी पकड़—सुप्रीम कोर्ट के अधिकार सीमित, विपक्ष में उबाल”

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पाकिस्तान में 27वां संवैधानिक संशोधन पारित होने के बाद देश की सत्ता संरचना में बड़ा बदलाव सामने आया है। इस संशोधन के लागू होने के साथ ही सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर अब पाकिस्तान की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के रूप में स्थापित हो गए हैं। यह फैसला पाकिस्तान की असेंबली में 234 मतों से पारित हुआ, जिसे देश के राजनीतिक इतिहास का अभूतपूर्व मोड़ माना जा रहा है।

संशोधन के बाद मुनीर को चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF) का पद सौंपा जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी वे 27 नवंबर से संभालेंगे। इसके साथ ही पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम और रणनीतिक हथियारों पर अंतिम नियंत्रण भी उनकी ही कमान में आ जाएगा। सबसे खास बात यह है कि संशोधन के प्रावधानों के अनुसार यह अधिकार उनके सेवा कार्यकाल के बाद भी जारी रह सकता है—यानी न तो वे सामान्य रूप से सेवानिवृत्त होंगे और न ही यह पद किसी और को सौंपा जा सकेगा। सरल शब्दों में कहें तो देश की सुरक्षा और रक्षा तंत्र पर उनका नियंत्रण स्थायी स्वरूप ले सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की शक्तियाँ सीमित

संशोधन में शामिल प्रावधानों के अनुसार संविधान से जुड़े सभी मामलों की सुनवाई अब सुप्रीम कोर्ट के बजाय फेडरल कॉन्स्टीट्यूशनल कोर्ट (FCC) में स्थानांतरित कर दी जाएगी। इसके साथ ही नए न्यायाधीशों की नियुक्ति का अधिकार भी सरकार को सौंप दिया गया है। यह व्यवस्था लागू होने के बाद सर्वोच्च न्यायपालिका की भूमिका काफी कम हो जाएगी।

हालाँकि, अंतिम वक्त में संशोधन में एक बदलाव भी किया गया—वर्तमान मुख्य न्यायाधीश याह्या अफरीदी अपने कार्यकाल के अंत तक उसी पद पर बने रहेंगे। अफरीदी ने अक्टूबर 2024 में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल तीन वर्ष बाद समाप्त होगा। इसके बाद “मुख्य न्यायाधीश” का तात्पर्य दोनों वरिष्ठ न्यायाधीशों में से वरिष्ठतम से लिया जाएगा।

प्रधानमंत्री की सत्ता भी सीमित

संशोधन का असर पाकिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था पर भी गहरा पड़ा है। अब तक प्रधानमंत्री नेशनल कमांड अथॉरिटी के अध्यक्ष के रूप में परमाणु हथियारों पर अंतिम निर्णय लेते थे। लेकिन नए प्रावधानों के बाद इन निर्णयों में भी असीम मुनीर को सर्वोच्च अधिकार प्राप्त होगा। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मुनीर, जो अब तक पर्दे के पीछे से सरकार को प्रभावित करते रहे थे, अब प्रत्यक्ष रूप से भी निर्णय प्रक्रियाओं में अग्रणी भूमिका निभाएँगे।

विपक्ष में उबाल

इस पूरे संशोधन को लेकर विपक्ष ने कड़ी नाराज़गी जताई है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआई ने संसद सत्र का बहिष्कार किया और बिल की प्रतियों को फाड़कर विरोध दर्ज कराया। विपक्षी दलों का आरोप है कि इस संशोधन से पाकिस्तान में शक्तियों का अत्यधिक केंद्रीकरण होगा और लोकतांत्रिक संस्थाओं को नुकसान पहुँचेगा।

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