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झारखंड के जंगलों में ‘साइलेंट सोल्जर’ की शहादत: नक्सलियों की IED योजना नाकाम कर CRPF के बहादुर डॉग ने दी जान

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झारखंड(JHARKHAND):
झारखंड के घने जंगलों में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान एक बार फिर सुरक्षा बलों की वीरता और बलिदान सामने आया है। पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा इलाके में हुए सर्च ऑपरेशन के दौरान नक्सलियों द्वारा बिछाई गई IED विस्फोटक सामग्री का शिकार होकर CRPF का एक प्रशिक्षित डॉग शहीद हो गया, जबकि उसका हैंडलर गंभीर रूप से जख्मी हो गया। यह घटना न सिर्फ नक्सलियों की लगातार बदलती रणनीति को उजागर करती है, बल्कि सुरक्षा बलों के सामने मौजूद वास्तविक चुनौतियों को भी सामने रखती है।

ऑपरेशन के बीच जंगल में गूंजा धमाका

छोटानागरा थाना क्षेत्र में सुरक्षाबल नक्सलियों द्वारा छिपाए गए विस्फोटक की तलाश में निकले थे। टीम आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक जमीन में दबे IED में जोरदार धमाका हुआ। विस्फोट इतना तीव्र था कि CRPF का स्निफर डॉग मौके पर ही शहीद हो गया और उसका हैंडलर युवक गंभीर रूप से घायल हो गया।

सुरक्षा बलों ने बढ़ाई सतर्कता

घटना के तुरंत बाद पूरे इलाके को घेरकर ताबड़तोड़ सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। बम निरोधक दस्ते और अन्य स्निफर डॉग्स की मदद से आसपास के इलाके में और भी IED होने की संभावना की जांच की जा रही है। यह क्षेत्र लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है, जहां भूमिगत विस्फोटक लगाना नक्सलियों की आम रणनीति बन चुकी है।

नक्सलियों की खतरनाक चाल – IED ट्रैप

झारखंड में नक्सली पिछले कुछ वर्षों से सीधी मुठभेड़ के बजाय ‘छिपे हमलों’ पर ज्यादा भरोसा कर रहे हैं। जंगलों के रास्तों और सुरक्षा बलों के पैट्रोलिंग रूट पर IED लगाना अब उनकी प्रमुख रणनीति है।
कुछ सप्ताह पहले भी सारंडा जंगल में IED ब्लास्ट के कारण CRPF हेड कॉन्स्टेबल महेंद्र लश्कर शहीद हुए थे, जबकि एक मौका पर घायल इंस्पेक्टर कौशल कुमार मिश्रा की बाद में दिल्ली AIIMS में मौत हो गई थी।

घायल जवान को एयरलिफ्ट कर रांची ले जाया गया

इस ताज़ा विस्फोट में घायल जवान की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। उन्हें तत्काल हेलिकॉप्टर से रांची के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। लगातार हो रहे ऐसे हमलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने प्रभावित जिलों में अतिरिक्त सुरक्षा बल और एंटी-IED टीमों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है।

शहीद ‘साइलेंट सोल्जर’ को सम्मान

चाईबासा कैंप में शहीद CRPF डॉग को गार्ड ऑफ ऑनर देकर अंतिम विदाई दी गई। सुरक्षा बलों ने बताया कि यह डॉग कई अभियानों में IED का पता लगाकर जवानों की जान बचा चुका था। उसे टीम का “साइलेंट वॉरियर” कहा जाता था, जिसकी बहादुरी ने एक बार फिर साबित किया कि आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में हर जीव का योगदान महत्वपूर्ण है।

नक्सलियों के ठिकानों पर कार्रवाई तेज

घटना के बाद पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला और लातेहार जिलों में सुरक्षा बलों ने अपने अभियान को और मजबूत कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में “टारगेटेड ऑपरेशन” चलाकर उन इलाकों को साफ किया जाएगा जहाँ IED लगाने की आशंका सबसे अधिक है।

यह युद्ध सिर्फ हथियारों का नहीं, बल्कि साहस, सतर्कता और देशभक्ति की कठिन परीक्षा है, जिसमें हमारे जवान और उनके साथी हर दिन जान जोखिम में डालकर लड़ रहे हैं।

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