बिहार राज्य में रेल अवसंरचना के विकास हेतु रेल मंत्रालय द्वारा पूर्व मध्य रेल क्षेत्राधिकार में रुपए 1051 लाख से अधिक की लागत से 12 परियोजनाओं के फाइनल लोकेशन सर्वे हेतु मंजूरी प्रदान की गयी है जिनका विवरण निम्नानुसार है –
- रुपए 309.6 लाख की लागत से 129 किमी लंबे सकरी-फारबिसगंज दोहरीकरण
- रुपए 237 लाख की लागत से 11 किमी लंबे ओलापुर-उमेशनगर वाईपास लाइन के साथ 85 किमी लंबे समस्तीपुर-हसनपुर-खगड़िया दोहरीकरण
- रुपए 232.8 लाख की लागत से 97 किमी लंबे आरा-सासाराम दोहरीकरण के साथ डीएफसी लाइन से कनेक्टिविटी
- मुजफ्फरपुर जं. पर ट्रैफिक दबाव कम करने के उद्देश्य से रुपए 69 लाख की लागत से 23 किमी लंबे सिलौत-जुब्बासहनी वाईपास लाइन
- रुपए 66 लाख की लागत से 22 किमी लंबे ललितग्राम-बीरपुर नई लाईन (नेपाल बॉर्डर के पास)
- रुपए 30 लाख की लागत से गंगा नदी पर रेलपुल के साथ 10 किमी लंबे फतुहा-बिदुपुर नई लाईन
- रुपए 18 लाख की लागत से 06 किमी लंबे फतुहा के पास रेल फ्लाई ओवर
- रुपए 18 लाख की लागत से कुचमन और गंजख्वाजा के मध्य आरओआर के साथ 06 किमी लंबे पं. दीनदयाल उपाध्याय वाईपास लाइन
- रुपए 18 लाख की लागत से 06 किमी लंबे नेउरा वाईपास लाइन
- रुपए 28.8 लाख की लागत से 12 किमी लंबे पाटलिपुत्र-फुलवारीशरीफ (06 किमी) एवं पाटलिपुत्र-दानापुर (06 किमी) दोहरीकरण
- रुपए 12 लाख की लागत से 04 किमी लंबे बिहार शरीफ वाईपास लाइन
- रुपए 12 लाख की लागत से 04 किमी लंबे दनियावां वाईपास लाइन
विदित हो कि फाइनल लोकेशन सर्वे (Final Location Survey या FLS) रेलवे लाइन या अन्य बुनियादी ढाँचे के निर्माण से पहले एक विस्तृत सर्वेक्षण है, जो किसी विशेष मार्ग का चयन होने के बाद किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य निर्माण के लिए विस्तृत योजनाएँ और चित्र तैयार करना है, जिसमें मार्ग का सटीक निर्धारण, लागत का अनुमान, भू-तकनीकी अध्ययन और कार्य विवरण शामिल होते हैं।
FLS के मुख्य उद्देश्य और कार्य –
- विस्तृत योजनाएँ तैयार करना – FLS का उद्देश्य निर्माण कार्य के लिए विस्तृत चित्र और योजनाएँ बनाना होता है, जिससे निर्माण प्रक्रिया सुचारू रूप से हो सके।
- सही लागत अनुमान – इसके माध्यम से नई लाइन के निर्माण या दोहरीकरण की सटीक लागत का अनुमान लगाया जाता है, जो परियोजना के लिए महत्वपूर्ण है।
- कार्य विवरण तैयार करना – साइट पर होने वाले निर्माण कार्य के लिए आवश्यक कार्य विवरण (Work Details) तैयार किए जाते हैं।
- भू-तकनीकी अध्ययन – इसके माध्यम से क्षेत्र की मिट्टी और अन्य भू-तकनीकी विशेषताओं का अध्ययन किया जाता है, जो निर्माण की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।
- सटीक संरेखण – यह सुनिश्चित करता है कि निर्माण का मार्ग प्रारंभिक सर्वेक्षण में तय किए गए मार्ग के अनुसार ही हो, जिसमें किसी प्रकार की त्रुटि न हो।
- निर्माण शुरू करने से पहले की प्रक्रिया – यह नए बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए सभी तकनीकी विशिष्टताओं और जरूरतों का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करता है, ताकि निर्माण की लागत अनुमान की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
अर्थात् फाइनल लोकेशन सर्वे किसी भी बड़े निर्माण परियोजना, खासकर रेलवे लाइन के निर्माण से पहले एक अंतिम और आवश्यक कदम है, जो सुनिश्चित करता है कि परियोजना का कार्यान्वयन सटीक और योजनाबद्ध तरीके से हो सके
कुसुम न्यूज़ से कुमार की रिपोर्ट