धनबाद,-: लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व चैती छठ मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। 4 अप्रैल को भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व पूर्ण होगा।बुधवार को छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना (लोहंडा) श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। इस दिन व्रती दिनभर निर्जला उपवास रखने के बाद शाम को स्नान कर नियमपूर्वक खीर, पूड़ी और रसिया बनाकर छठी मइया को भोग अर्पित करते हैं। इसके बाद व्रती प्रसाद ग्रहण कर अपने परिजनों और इष्ट-मित्रों में बांटते हैं।
खरना के साथ ही 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास शुरू हो गया, जो शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद संपन्न होगा। गुरुवार की शाम अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खरना पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। यह दिन नहाय-खाय के बाद व्रतियों के आत्मशुद्धि का अवसर होता है। माना जाता है कि इस दिन से छठी मइया का आगमन होता है और उनकी कृपा से व्रतियों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
बिहार के हाजीपुर, पटना, गया, मुजफ्फरपुर और झारखंड के धनबाद, बोकारो, रांची सहित कई शहरों में श्रद्धालु पूरी आस्था के साथ महापर्व मना रहे हैं। विभिन्न घाटों और घरों में छठ व्रतियों ने पूरी निष्ठा के साथ खरना की पूजा संपन्न की।चैती छठ के अवसर पर लोकगायिका शारदा सिन्हा के भक्ति गीतों की धूम मची हुई है। “करिहा क्षमा छठी मैया…” जैसे छठ गीतों की गूंज झारखंड और बिहार के पूजन स्थलों पर भक्तिमय माहौल बना रही है।
हालांकि, कार्तिक मास में छठ अधिक प्रचलित है, लेकिन चैत्र महीने में भी लोग इसे पूरे श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाते हैं। आम धारणा है कि जिनकी मनोकामना पूरी हो जाती है, वे चैती छठ करते हैं।छठ पर्व को लेकर धनबाद सहित पूरे राज्य में घाटों की विशेष साफ-सफाई और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। श्रद्धालु पूरे समर्पण के साथ भगवान भास्कर की उपासना कर रहे हैं।
