मध्य प्रदेश (MP): आरक्षण से जुड़े विषय पर दिए गए एक बयान को लेकर वरिष्ठ IAS अधिकारी संतोष वर्मा पर बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई है। राज्य सरकार ने उनके वक्तव्य को अत्यंत असंवेदनशील बताते हुए तुरंत प्रभाव से उन्हें पद से हटा दिया और निलंबन की कार्यवाही आरंभ कर दी है। वर्मा, जो 2011 बैच के अधिकारी हैं, निलंबन से पूर्व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग में उप सचिव के रूप में कार्यरत थे।
विवाद की उत्पत्ति
भोपाल में 22 नवंबर 2025 को आयोजित एक कार्यक्रम में वर्मा ने आरक्षण को लेकर कुछ ऐसे विचार व्यक्त किए, जिन्हें कई सामाजिक समूहों ने आपत्तिजनक माना। उनका कहना था कि आरक्षण अब समान अवसर प्रदान करने का उपकरण कम और राजनीतिक मंशाओं से संचालित व्यवस्था अधिक बन चुका है।
कार्यक्रम का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर प्रसारित होते ही मामला तेजी से भड़क गया। वीडियो में दिखाई दे रहे कुछ वाक्य ब्राह्मण समाज तथा विभिन्न आरक्षण समर्थक संगठनों के लिए अत्यंत आक्रोश का कारण बने। कई संगठनों ने वर्मा के वक्तव्य को सामाजिक ताने-बाने को क्षति पहुँचाने वाला बताया।
विरोध प्रदर्शन तेज
इसके बाद राजधानी भोपाल में वल्लभ भवन के आसपास विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारियों ने वर्मा के बयान को संविधान की भावना के खिलाफ बताया और सख्त कानूनी कार्रवाई की माँग को लेकर सड़क पर उतरे। हाथों में तख्तियाँ लिए लोगों ने नारेबाज़ी की और प्रशासन को तुरंत हस्तक्षेप की चेतावनी दी।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
मामला बढ़ने पर सरकार ने पहले उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा और 7 दिनों में जवाब प्रस्तुत करने को कहा। इसमें स्पष्ट उल्लेख था कि अधिकारी का यह व्यवहार अखिल भारतीय सेवा आचरण नियमों के विरुद्ध है।
हालाँकि, विवाद लगातार तूल पकड़ता रहा। इसलिए स्थिति को और न बिगड़ने देने के लिए सरकार ने 26 नवंबर 2025 की देर रात निलंबन आदेश जारी कर दिया। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि वर्मा के बयान की विस्तृत जाँच आगे की अनुशासनात्मक प्रक्रिया का आधार होगी।