तिब्बतियों ने दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के 35वें वर्ष पर की पूजा-अर्चना

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धनबाद, 10 दिसंबर 2024: धनबाद के न्यू स्टेशन कॉलोनी, चिल्ड्रन पार्क, और पुराना बाजार में तिब्बती समुदाय ने सोमवार को परम पावन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के 35वें वर्ष के उपलक्ष्य में विशेष पूजा-अर्चना की। तिब्बती शरणार्थियों ने तिब्बती विधि-विधान के अनुसार दीप प्रज्वलित कर मंत्रोच्चार के साथ विश्व शांति और दलाई लामा के दीर्घायु की कामना की।

शरणार्थी टाशी थुप्तन ने कहा, “हम तिब्बती इस दिन को बड़े हर्षोल्लास और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह दिन हमारे लिए बहुत खास है, और हम धनबादवासियों और भारत सरकार के प्यार और समर्थन के लिए आभारी हैं।” उन्होंने बताया कि तिब्बती समुदाय 1982 से धनबाद में वूलन गारमेंट्स एग्जीबिशन कम सेल का आयोजन कर रहा है और हर वर्ष 10 दिसंबर को पूजा-अर्चना करता आ रहा है।

संस्था के अध्यक्ष लोंडेन शेरिंग ने बताया कि 10 दिसंबर तिब्बती समुदाय के लिए दो कारणों से महत्वपूर्ण है। पहला, 10 दिसंबर 1989 को परम पावन दलाई लामा को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह तिब्बत की खोई हुई स्वतंत्रता और अहिंसा पर आधारित संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय मान्यता देने का प्रतीक है।

दूसरा, यह दिन अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है।उन्होंने कहा, “तिब्बत पर 1949 के चीनी आक्रमण और 1959 के पूर्ण कब्जे के बाद से तिब्बती लोगों के मानवाधिकारों का हनन हुआ है। चीन ने न केवल हमारे अधिकारों को छीना, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पहचान को नष्ट करने के प्रयास किए। 10 दिसंबर का दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारा संघर्ष अहिंसा और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है।”

तिब्बती समुदाय के इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। उन्होंने दलाई लामा की शिक्षाओं और विश्व शांति के प्रति उनके योगदान को याद किया। धनबाद के नागरिकों ने भी इस आयोजन को सराहा और तिब्बती समुदाय की अहिंसात्मक संघर्ष की भावना की प्रशंसा की।

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