साहिबगंज: करीब 1000 करोड़ रुपए के अवैध खनन से जुड़े मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच को एक बार फिर गति दे दी है। इस कार्रवाई के तहत एजेंसी ने 11 संबंधित व्यक्तियों को समन जारी करते हुए रांची स्थित कार्यालय में हाज़िर होने का निर्देश दिया है। नोटिस पाने वालों में साहिबगंज के कुछ खनन विभाग के अधिकारी, साथ ही ठेकेदार और खनन कारोबार से जुड़े कई प्रभावशाली नाम शामिल हैं। बरहेट, राजमहल, मिर्जा चौकी और बड़हरवा क्षेत्र के कई व्यवसायियों का इसमें उल्लेख बताया जा रहा है।
यह जांच कांड संख्या 85/2020 पर आधारित है, जिसके बाद ईडी ने ईसीआईआर दर्ज कर विस्तृत छानबीन शुरू की थी। अब तक एजेंसी 30 जून 2025 तक पाँच अतिरिक्त आरोपपत्र अदालत में दाखिल कर चुकी है, जिससे साफ है कि मामला काफी गहराई तक फैला हुआ है।
अवैध खनन का बड़ा जाल
इधर जांच के दौरान लगातार ऐसे प्रमाण मिलते रहे हैं जो यह दर्शाते हैं कि साहिबगंज में संगठित खनन गठजोड़ वर्षों से सक्रिय था। यह सिंडिकेट न सिर्फ खनन और उसके परिवहन पर कब्जा जमाए हुए था, बल्कि जबरन वसूली और दबदबे के दम पर मोटी कमाई कर रहा था। कई कारोबारी भी इस नेटवर्क के दबाव में काम करते रहे।
टेंडर में घोटाले के सबूत
ED को यह भी पता चला है कि साहिबगंज-मनिहारी नौका सेवा के 8.52 करोड़ रुपए के टेंडर में भारी अनियमितताएँ हुईं। इस पूरे संचालन में दाहू यादव की भूमिका प्रमुख बताई गई है। जांच के मुताबिक, उनकी कंपनी मेसर्स रायदव ट्रांसपोर्टेशन का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग के तौर पर किया जाता था, जिसके खातों में मौजूद 63.39 लाख रुपए को ईडी ने सीज़ कर दिया है।
अब तक जब्त की गई संपत्तियाँ
जांच एजेंसी इस केस में बड़ी मात्रा में संपत्ति और धन जब्त कर चुकी है, जिसमें शामिल हैं —
- 3.49 करोड़ रुपए नकद
- एक जहाज (एम.वी. इंफ्रालिंक-III)
- पांच इंडस्ट्रियल स्टोन क्रशर मशीनें
- दो टिपर ट्रक
- 2.47 करोड़ रुपए बैंक खातों में फ्रीज
और बड़े खुलासों की संभावना
ED का मानना है कि आने वाली पूछताछ में इस खनन रैकेट का नेटवर्क और भी विस्तार के साथ उजागर हो सकता है। जिन 11 लोगों को तलब किया गया है, उनकी भूमिका और संबंध जांच के अगले चरण को तय करेंगे।