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“बिहार BJP प्रवक्ता के विवादित पोस्ट से झारखंड की सियासत में उबाल: कहा—‘अब नया बम झारखंड में, हेमंत होंगे जीवंत’”

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रांची (RANCHI): अजय आलोक के एक्स पोस्ट ने झारखंड की सियासत में बढ़ाई गर्माहट—‘नया बम’ और ‘हेमंत जीवंत’ वाले बयान ने बढ़ाए सस्पेंस

बिहार भाजपा के प्रवक्ता अजय आलोक द्वारा एक्स पर डाला गया एक छोटा-सा पोस्ट झारखंड की राजनीति में बड़ा सवाल बनकर तैर रहा है। उन्होंने लिखा—“अब नया बम झारखंड में, हेमंत अब जीवंत होंगे।”
इस एक लाइन ने राजनीतिक गलियारों में नई चर्चाओं को हवा दे दी है कि आलोक की बात किस ओर इशारा कर रही है।

कुछ राजनीतिक विश्लेषक अंदेशा जता रहे हैं कि यह बयान राजद को लेकर किसी संभावित राजनीतिक हलचल की ओर संकेत हो सकता है। कारण यह कि बिहार चुनाव में सीटें न मिलने पर झामुमो पहले ही नाराज़गी जताते हुए गठबंधन की समीक्षा की बात कर चुका था।
हालांकि कांग्रेस और राजद की भारी चुनावी हार पर भी झामुमो की चुप्पी ने कयासों को और तेज कर दिया है।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर झारखंड में ‘नया बम’ किस मुद्दे पर गिरने वाला है?
और हेमंत सोरेन को “अब जीवंत होने” की जरूरत क्यों पड़ रही है—जबकि उनकी पार्टी ने घाटशिला उपचुनाव में प्रचंड जीत दर्ज की है, जहाँ अकेले हेमंत सोरेन के सामने भाजपा के पाँच पूर्व मुख्यमंत्री भी प्रभाव नहीं डाल सके।


“सिर्फ राजनीतिक व्यंग्य?”—विश्लेषकों की राय

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का मानना है कि बिहार में राजद की बिखरती स्थिति हेमंत सोरेन को गठबंधन पर अपनी शर्तें और मजबूत करने का अवसर दे सकती है।
वे कहते हैं कि झारखंड में यदि हेमंत सोरेन कांग्रेस और राजद को सत्ता से बाहर भी कर दें, तब भी दोनों दलों के पास विकल्प बहुत सीमित होंगे—समर्थन देना उनकी मजबूरी बन सकता है।

इस दृष्टिकोण से देखें तो अजय आलोक का पोस्ट, किसी वास्तविक राजनीतिक संकेत की बजाय, राजद और कांग्रेस की ताज़ा पराजय पर एक तंज या चुटकी भी साबित हो सकता है।

इसके अलावा झारखंड की राजनीति में अजय आलोक की सीधी भूमिका न के बराबर है, इसलिए कई लोग इसे सिर्फ “राजनीतिक मनोरंजन” या “चिढ़ाने वाली टिप्पणी” के रूप में देख रहे हैं।

जहाँ तक भाजपा से हेमंत सोरेन के संभावित जुड़ाव की अटकलें हैं—विशेषज्ञ इसे सिरे से नकार रहे हैं। घाटशिला में उनके आक्रामक तेवरों ने भी साफ संकेत दिया कि भाजपा के साथ जाना उनके लिए लाभदायक नहीं होगा।
कई विश्लेषकों के अनुसार यह पोस्ट दरअसल झामुमो को उकसाने का एक तरीका है कि वह बिहार की हार से जूझ रहे कांग्रेस-राजद पर दबाव बढ़ाए।


बिहार के नतीजों का प्रभाव झारखंड पर?

बिहार में इस बार राजद की स्थिति इतिहास की सबसे कमजोर कड़ियों में गिनी जा रही है—143 सीटों पर लड़कर केवल 25 सीटें जीतना पार्टी के लिए बड़ा झटका है।
यदि झारखंड में कोई राजनीतिक भूचाल आता है, तो उसकी सबसे तेज़ चोट राजद को झेलनी पड़ सकती है।

संक्षेप में—
अजय आलोक का एक पोस्ट झारखंड की राजनीति को गर्म कर चुका है, लेकिन असली अर्थ अभी भी राजनीतिक रहस्य बना हुआ है।

कुसुम न्यूज़ से निशा की रिपोट

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