विगत कुछ दिनों पहले झारखण्ड विधानसभा द्वारा कोचिंग संस्थानों के लिए पारित विधेयक में बहुत तरह के नियम कानून लगाये गए, जो यहां के गरीब व होनहार छात्रों के भविष्य के हक में उचित नहीं है।
खासकर दंडस्वरूप 5 लाख से 10 लाख एवं सेक्यूरिटी मनी पांच लाख के साथ निर्णायक मंडली में कोचिंग संगठन के किसी भी सदस्य का भागीदारी न होना आपत्तिजनक हैं।
धनबाद कोचिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री मनोज सिंह ने बताया कि सभी जनप्रतिनिधि को शिक्षा जैसी संवेदनशील मुद्दे पर फिर से एक बार सोच-समझकर विचार करना चाहिए, तक जबकि झारखण्ड में शिक्षा में हम पिछड़े हैं। ऐसे में 90 प्रतिशत से ज्यादा कोचिंग क्लास बंद हो जाऐंगे, पढ़े-लिखे हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे तब जबकि कोचिंग संस्थान जो जॉब क्रियेटर है और सरकार को हम टैक्स भी देते हैं।
सचिव श्री विकास तिवारी ने कहा कि राज्य का राजस्व तो दूसरे राज्यों में जाएगा ही, क्योंकि यहां के छात्र-छात्राएं प्रतियोगी तैयारी के लिए अन्यत्र जाने को मजबूर होंगे। ग्रामीण परिवेश के छात्रों के साथ ही राज्य के गरीब टैलेंटेड छात्रों का भविष्य कहीं न कहीं अंधेरे में गुम हो जाएगा। विनम्र आग्रह है कि सरकार कोचिंग संस्थानों को अलग नजरिये से न देखें, हमें भी राज्य के शिक्षा का अभिन्न अंग माने जो विधेयक लायी गई है वो रोजी रोजगार के साथ हीं कहीं न कहीं शिक्षा व्यवस्था को गलत तरिके से प्रभावित करेगी, क्योकि पूरे देश में जैसे निकटवर्ती राज्य बिहार, उतर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली में भी ऐसे नियम नहीं हैं।
बहुत सारे कोचिंग संस्थानों के शिक्षकगण के साथ गोल धनबाद के केन्द्र निदेशक श्री संजय आनंद ने बताया कि कोचिंग विधेयक होना चाहिए, हम इस फैसलें के विरूद्ध नहीं हैं। झारखण्ड के माननीय मुख्यमंत्री एवं जनप्रतिनिधि विजनरी हैं। ऐसा विश्वास है कि फैसला एक पक्षिय न होकर न्याय संगत करेंगे
कुसुम न्यूज़ से कुमार की रिपोर्ट