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नॉर्मल का उल्टा ‘एबनॉर्मल’ नहीं होता बल्कि ‘एक्स्ट्राऑर्डिनरी’ होता है : अनुपम खेर…

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भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफ्फी) में शनिवार की शाम भावनाओं और संवेदनाओं से भरी सिनेमाई प्रस्तुति का साक्षी बनी, जब प्रतिष्ठित अभिनेता, फिल्मकार और निर्देशक अनुपम खेर ने अपनी नई निर्देशित फिल्म ‘तन्वी द ग्रेट’ को दर्शकों के सामने रखा। यह फिल्म एक ऐसी प्रतिभाशाली लड़की की कहानी बयां करती है, जो ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम पर होने के कारण अक्सर गलत समझी जाती है, फिर भी अपने सैन्य अधिकारी पिता से प्रेरित होकर भारतीय सेना में शामिल होने के अपने सपने को मजबूती से थामे रखती है। अपनी अनोखी क्षमता और दृढ़ संकल्प के सहारे वह दिखाती है कि वीरता केवल शक्ति नहीं, बल्कि संवेदनाओं और साहस का मिला-जुला रूप है।

स्क्रीनिंग के बाद अनुपम खेर और फिल्म की नायिका तन्वी ने मीडिया से विस्तृत बातचीत की। महोत्सव में आए दर्शकों और डेलीगेट्स ने फिल्म को भरपूर सराहना देते हुए खड़े होकर तालियाँ बजाईं।

‘तन्वी द ग्रेट’ अपनी ऊर्जा से भरी कहानी, सधे हुए किरदारों और दिल को छू लेने वाली भावनात्मक यात्रा के कारण लगातार प्रशंसा पा रही है। इफ्फी में मिली गर्मजोशी ने इसकी उपलब्धियों में एक और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ दिया है और यह दर्शाता है कि फिल्म अलग-अलग समाजों और आयु वर्गों के लोगों के साथ गहराई से जुड़ रही है।

मीडिया संवाद में अनुपम खेर ने बताया कि फिल्म की कहानी उनके निजी और पारिवारिक अनुभवों से प्रेरित है, इसलिए यह प्रोजेक्ट उनके लिए बेहद भावनात्मक महत्व रखता है। ऑटिज़्म को लेकर बात करते हुए उन्होंने कहा कि समाज में अक्सर “नॉर्मल” का विपरीत “एबनॉर्मल” समझ लिया जाता है, जबकि उनके हिसाब से “नॉर्मल” का उल्टा कई बार “असाधारण” भी होता है।

उन्होंने यह भी कहा कि अब वे ऐसे विषयों की ओर अधिक आकर्षित होते हैं जो मानवीय जज़्बे, संवेदनशीलता और जीवन में परिवर्तन लाने वाले पलों को दर्शाते हैं। खेर ने भरोसा जताया कि वे आगे भी ऐसे ही क्रिएटिव प्रोजेक्ट्स पर काम करेंगे, जो लोगों के भीतर सकारात्मकता जगाएँ और दर्शकों को जीवन में प्रेरणादायी बदलाव के लिए प्रोत्साहित करें।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य आकर्षण फिल्म की मुख्य कलाकार शुभांगी दत्त रहीं, जिनके लिए ‘तन्वी द ग्रेट’ उनका पहला बड़ा सिनेमाई अनुभव है। अपने डेब्यू को लेकर शुभांगी ने कहा कि अनुपम खेर का निर्देशन बेहद अनुशासित और गहन है। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि खेर उनके लिए एक “कठोर लेकिन प्रेरणादायी गुरु” हैं, जिनकी मार्गदर्शक शैली ने न केवल उनकी अभिनय कला को संवारने में मदद की, बल्कि उनके भीतर मौजूद रचनात्मकता को भी उभारकर सामने लाया।

शुभांगी ने आगे कहा कि वह भविष्य में अलग-अलग शैलियों की फिल्मों में काम करना चाहती हैं, खासकर ऐसे किरदार निभाने की इच्छा रखती हैं जो उनकी प्रतिभा को चुनौती दें और ऐसे प्रोजेक्ट्स का हिस्सा बनना चाहती हैं जो समाज में सकारात्मक और संवेदनशील संदेश छोड़ सकें।

कुसुम न्यूज़ से निशा की रिपोट

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