आसनसोल (WEST BENGAL): आसनसोल साउथ थाना क्षेत्र की रेलवे ट्रैफिक कॉलोनी में रहने वाला एक परिवार इन दिनों भय और तनाव में जिंदगी बिता रहा है। वजह—कॉलोनी में रहने वाले लगभग 30–35 स्ट्रीट डॉग्स को भोजन कराने को लेकर पड़ोस में रहने वाली एक महिला से लगातार विवाद बढ़ता चला गया है।
बिपिन दास, जो रेलवे में कार्यरत हैं, और उनकी पत्नी उषा दास वर्षों से मानवीय संवेदना के तहत इन कुत्तों को खाना देते रहे हैं। लेकिन बीते कुछ महीनों से उन्हें यह काम चोरी-छिपे रात देर में या फिर सुबह बहुत जल्दी करना पड़ रहा है ताकि कोई उन्हें देख न ले। परिवार के अनुसार, उन्हें डर है कि पड़ोस की निवासी पुष्पा सिंह, जो स्वयं भी रेलवे कर्मचारी हैं, किसी भी समय गुंडों को बुलाकर हमला करा सकती हैं या कुत्तों को जहर देने की कोशिश कर सकती हैं।
परिवार की बेटी रितिका दास ने बताया कि अक्टूबर महीने से पुष्पा सिंह बार-बार कुत्तों को खिलाना बंद करने की चेतावनी दे रही थीं। 17 अक्टूबर को स्थिति तब बिगड़ गई जब उन्होंने उषा दास पर हमला कर दिया, जिसमें उषा के कान में गंभीर चोट आई और वे खून से लथपथ हो गईं। रितिका जब अपनी मां को बचाने आई, तो उस पर भी हाथ उठाया गया और दोबारा ऐसा करते पकड़े जाने पर और भी बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी गई।
रितिका का आरोप है कि पुष्पा सिंह ने कॉलोनी के कुछ लोगों से हस्ताक्षर करवाए, लेकिन उन्हें यह नहीं बताया गया कि दस्तावेज में लिखा क्या जा रहा है। इसके आधार पर उन्होंने आसनसोल डीआरएम कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई कि आवारा कुत्तों को खाना खिलाने से गंदगी फैल रही है, जिसके बाद बिना पूर्ण जांच के उनके पिता बिपिन दास का तुरंत तबादला कर दिया गया। इससे पूरा परिवार मानसिक रूप से टूट गया है।
दास परिवार का कहना है कि वे अब भी इन कुत्तों की देखभाल करते हैं, लेकिन डर के माहौल में। उन्होंने कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है ताकि उन्हें न्याय मिल सके। परिवार का मानना है कि स्ट्रीट डॉग्स किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते, बल्कि रात में पहरा देकर कॉलोनी को सुरक्षित रखते हैं।
बेज़ुबान जानवरों के प्रति उनकी यह संवेदना ही आज उनके लिए परेशानी का कारण बन गई है, जबकि वे जिन लोगों की सुरक्षा में रातें जागकर बिताते हैं, वही लोग उनके प्रति वैमनस्य पाल रहे हैं — यह बात परिवार को सबसे अधिक कचोटती है।
कुसुम न्यूज़ से निशा की रिपोट